आपूर्ति श्रृंखलाओं में बाल श्रम की समाप्तिः यह सभी का उपक्रम हो

बाल श्रम के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय दिवस के अवसर पर अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन के महानिदेशक गाय रायडर का कथन जिनीवा, 12 जून 2016

Statement | Geneva, Switzerland | 10 June 2016
सुचारू रूप से संचालित और विनियमित होने वाले बाजार में, जाहिर है, बाल श्रम की मौजूदगी कतई नहीं हो सकती। लेकिन सच्चाई यह है कि आज बाल श्रम बाजार की आपूर्ति श्रृंखलाओं में पूरी तरह से व्याप्त है।

यह अस्वीकार करने योग्य सच्चाई है कि विश्व में अब भी 16 करोड़ 80 लाख बाल श्रमिक मौजूद हैं जिनमें से साढ़े आठ करोड़ जोखिमपरक काम करने को विवश हैं। बच्चे कृषि क्षेत्र - जहां उनकी संख्या 9 करोड़ 90 लाख है- से लेकर खनन, मैन्यूफैक्चरिंग से लेकर पर्यटन क्षेत्र में काम कर रहे हैं और हर दिन लाखों लोगों के उपभोग के लिए उत्पादन कर रहे हैं, सेवाएं प्रदान कर रहे हैं।

बच्चे अधिकतर ग्रामीण और अनौपचारिक अर्थव्यवस्थाओं में काम कर रहे हैं, जहां श्रमिक निरीक्षक उन तक नहीं पहुंच पाते। उन्हें न तो श्रमिक संगठनों का संरक्षण मिलता है और न ही नियोक्ता और उत्पादन संगठनों द्वारा प्रदान किए जाने वाले लाभ।

ग्रामीण और अनौपचारिक अर्थव्यवस्थाओं में संस्थागत संरक्षण की कमी ही वह कारण नहीं, जिसके चलते बच्चे आपूर्ति श्रृंखला की कड़ियां बनने को मजबूर हैं। घरेलू उत्पादन और पुश्तैनी खेती-बाड़ी में बच्चों को कई बार सिर्फ इसलिए काम करना पड़ता है क्योंकि उनके माता-पिता की आमदनी बहुत कम होती है या छोटे पारिवारिक उपक्रमों की कमाई इतनी नहीं होती कि बच्चों की बजाय किसी बड़े को काम पर रख सकें। खुदरा उत्पादन से बाल श्रम की आशंका बढ़ती है क्योंकि माता-पिता की कम आय के चलते बच्चे मांग को पूरा करने के लिए उनकी मदद करते हैं और इस प्रकार परिवार का गुजारा चलता है।

विश्वव्यापी आपूर्ति श्रृंखला सप्लाई कंपनियों, श्रमिकों और मेजबान देशों के लिए समावेशी विकास के अवसर प्रदान कर सकती हैं लेकिन अपेक्षित परिणाम हासिल करने के लिए योजनाबद्ध कार्रवाई करने की जरूरत है।

उच्च स्तर की विश्वव्यापी आपूर्ति श्रृंखलओं से इतर, बहुत से बाल श्रमिक स्थानीय और राष्ट्रीय उपभोग के लिए भी उत्पाद बना रहे हैं और उन आपूर्ति श्रृंखलाओं का हिस्सा हैं। उन्हें नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

उल्लेखनीय है कि बाल श्रम के खिलाफ कार्य करने और उसे रोकने की इच्छा शक्ति के संकेत मिल रहे हैं। साथ ही ऐसी आपूर्ति श्रृंखलाओं में पारदर्शिता नजर आ रही है और प्रासंगिक कानूनों का प्रभावी प्रवर्तन किया जा रहा है।

आईएलओ के 168 सदस्य देशों ने न्यूनतम आयु समझौता, 1973 (संख्या 138) और 180 देशों ने बाल श्रम के निकृष्ट रूप समझौता, 1999 को संपुष्टि दी जिसे लगभग सार्वभौमिक संपुष्टि कहा जा सकता है।

विभिन्न देशों की सरकारें इस बात को मान्यता दे रही हैं कि बाल श्रम के खिलाफ संघर्ष के लिए ऐसी सुसंगत नीति बनाने की जरूरत है जिसके तहत बाल श्रम कानूनों का अनुपालन किया जाए, साथ ही उत्तम शिक्षा, सामाजिक संरक्षण प्राप्त हो और माता-पिता को अच्छा रोजगार भी मिले।

कंपनियां निरंतर प्रयास कर रही हैं कि वे अपने व्यवसाय से जुड़ी आपूर्ति श्रृंखलाओं की क्षमता बढ़ाते हुए बाल श्रम उन्मूलन में योगदान दें जोकि एक जटिल कार्य है और जिसके लिए सरकारों, उद्योग जगत, नियोक्ता और श्रमिक संगठनों की भागीदारी की जरूरत है। ऐसे में आईएलओ के चाइल्ड लेबर प्लेटफॉर्म जैसे मंच उद्योग जगत को यह मौका देते हैं कि वे अच्छी प्रथाओं को एक दूसरे से साझा करें और सहयोग के लिए नया मॉडल विकसित करें।

विश्वव्यापी श्रमिक संघ परिसंघों और बहुराष्ट्रीय कंपनियों के बीच विश्वव्यापी संरचनात्मक समझौते सामाजिक संवाद के जरिये विश्वव्यापी सहयोग की एक अभिव्यक्ति हैं। मूल्य श्रृंखलाओं में जमीनी स्तर पर ग्रामीण और अनौपचारिक श्रमिकों के संगठन भी सामूहिक प्रतिनिधित्व को मजबूत करने के लिए नई तरह के दृष्टिकोण को व्यापक बना रहे हैं।
आईएलओ का बहुराष्ट्रीय उद्यमों और सामाजिक नीति से संबंधित सिद्धांतों का त्रिपक्षीय घोषणापत्र, 1977, बाल श्रम के उन्मूलन में उद्यमों की भूमिका को स्वीकार करता है। उद्यमों की क्षमता और सामाजिक संवाद के विकास और मजबूती पर केंद्रित इस घोषणापत्र में बाल श्रम के खिलाफ कार्रवाई को दिशानिर्देश देने की जबरदस्त क्षमता है।
2030 की सतत विकास कार्यसूची में बाल श्रम को समाप्त करने के लक्ष्य को दोहराया गया है। एक साथ मिलकर, हम श्रम की दुनिया को बाल श्रम मुक्त भविष्य दे सकते हैं। बेशक, यह हमारे हाथ में है।